केंद्र की रिपोर्ट में खुलासा: जल जीवन मिशन में मध्य प्रदेश के 217 गांवों तक नहीं पहुंचा पानी

मध्य प्रदेश में जल जीवन मिशन में 10 हजार करोड़ रुपए से अधिक की राशि खर्च हो गई है। अब केंद्र सरकार की रिपोर्ट में एक बड़ा खुलासा हुआ है। मिशन के तहत कई अब तक ना तो कई गांवों में नल कनेक्शन लगाए गए और नाही पानी की सप्लाई शुरू हो सकी है। इसके बावजूद कार्य पूरा होने की रिपोर्ट दे दी गई। यहीं नहीं जहां पानी की सप्लाई हो रही है, वहां पानी की गुणवत्ता मानकों के अनुसार ठीक नहीं है। 

प्रदेश में घर-घर पीने का शुद्ध पानी पहुंचाने के उद्देश्य से 2019‎ को शुरू की गई जल जीवन मिशन‎ योजना अधर में लटकी है। 2024 में मिशन का कार्य अधूरा होने के बाद केंद्र सरकार ने जुलाई में मप्र के 1271 सर्टिफाइड गांवों में सर्वे कराया। एक निजी एजेंसी द्वारा किए गए इस सर्वे में केवल 209 गांव ही मानकों पर खरे उतरे। वहीं, 217 गांवों में नल कनेक्शन तो लगाए गए, लेकिन पानी की सप्लाई शुरू नहीं हुई। 13 गांवों में नल कनेक्शन तक नहीं लगाए गए, बावजूद इसके कार्य पूरा दिखा दिया गया। 778 गांवों में जल गुणवत्ता की जांच में 390 सैंपल अमानक पाए गए। रिपोर्ट के अनुसार सबसे खबरा स्थिति अलीराजपुर और सिंगरौली के गांवो में है। यहां पर जल जीवन मिशन की स्थिति बहुत खराब है।  

वहीं, एक एजेंसी द्वारा लिए गए जल परीक्षण सैंपल में चौंकाने वाले परिणाम सामने आए। सर्वे के दौरान पानी में बैक्टीरियल कंटामिनेशन और रासायनिक मिलावट पाई गई, जिससे मिशन की प्रमाणिकता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। यह रिपोर्ट अब केंद्र ने राज्य सरकार को सौंपी है। इसके बाद अब लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग से सवाल जवाब किया गया है कि गड़बड़ियों पर अब तक कार्रवाई क्यों नहीं की गई। 

बता दें 15 अगस्त 2019‎ को शुरू की गई जल जीवन मिशन‎ योजना अधर में लटक गई है।‎ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस योजना‎ की शुरुआत करते हुए मार्च 2024‎ तक इसे पूरा करने का लक्ष्य रखा ‎था। मध्य प्रदेश में योजना में 10 हजार करोड़ रुपए से अधिक खर्च हो गए है। इसके बावजूद योजना का काम पूरा नहीं हुआ है। अभी भी लाखों कनेक्शन होना बाकी है। जानकारी के अनुसार अभी योजना के तहत हजारों करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान अटका हुआ है। 
 

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