बेहद खास है साल की अंतिम एकादशी, गुरुवार का दिन..दो संयोग हर कामना होगी पूरी!

साल 2024 की समाप्ति में महज कुछ दिन ही बचे हैं. वहीं, साल की अंतिम एकादशी भी करीब है. पौष मास की एकादशी खास महत्व माना गया है. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन के सारे संकट, कष्ट समाप्त होते हैं. सुख समृद्धि की वृद्धि होती है. इसे सफला एकादशी कहते हैं और इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है.

साल 2024 की अंतिम एकादशी बेहद खास है. इसे सफला एकादशी कहते हैं. साल की अंतिम एकादशी 26 दिसंबर गुरुवार को है. इस दिन स्वाति नक्षत्र के साथ सुकर्मा और धृती योग का निर्माण भी हो रहा है. इस ग्रह स्थिति से सफला एकादशी का महत्व और भी खास होने जा रहा है.

कब से शुरू हो रही एकादशी तिथि
एकादशी तिथि की शुरुआत 25 दिसंबर रात 11 बजकर 05 मिनट से हो जाएगी. इसका समापन अगले दिन यानी 26 नवंबर की रात 10 बजकर 54 मिनट पर होगा. 26 दिसंबर को उदया तिथि में एकादशी रहेगी, इसलिए व्रत उसी दिन रखा जाएगा.

ऐसे करें सफला एकादशी की पूजा
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि सफला एकादशी के दिन सुबह स्नान कर व्रत का संकल्प लें. इसके बाद जो भी आप अपने कार्य पूर्ण करना चाहते हैं उसकी मनोकामना लिए भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पंचोपचार विधि से पूजा करें. इसमें दूध, दही, शहद, गुड़ और घी शामिल होना चाहिए. इसके बाद प्रिय पुष्प कनेर और तुलसी अर्पित करें. अंत में भगवान विष्णु का प्रिय भोग अर्पण करें. साथ ही भगवान विष्णु के सहस्त्रनाम का पाठ करें. ऐसा करने से भगवान विष्णु बेहद प्रसन्न होंगे और आपके हर जटिल से जटिल कार्य को करेंगे. आने वाला नया साल 2025 सुख समृद्धि से भरा रहेगा.

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