नई दिल्ली । दिल्ली सरकार ने काफी समय से लंबित कैग की 14 रिपोर्टें उपराज्यपाल कार्यालय को भेज दी हैं। उपराज्यपाल सचिवालय ने शनिवार को इन रिपोर्टों के मिलने की पुष्टि की है। दिल्ली विधानसभा में नेता विपक्ष ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दिल्ली सरकार को लंबित इन 14 कैग रिपोर्टों को दिल्ली विधानसभा के पटल पर रखने के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी। राज निवास ने शनिवार को जानकारी देते हुए बताया कि दिल्ली सरकार ने डेढ़ साल से अधिक की देरी के बाद नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की सभी 14 लंबित रिपोर्टें विधानसभा में पेश करने के लिए एलजी को उनकी मंजूरी के लिए भेज दी हैं। दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने पहले ही ‘आप’ सरकार से विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने के लिए कहा है, जो अगले साल फरवरी में अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा कर रही है, ताकि कैग रिपोर्टों को पेश किया जा सके। गुप्ता ने पहले दिल्ली हाईकोर्ट में दायर एक याचिका में सरकार को लंबे समय से लंबित 14 कैग रिपोर्टों को विधानसभा में पेश करने के निर्देश देने की मांग की थी। इस मुद्दे पर सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई। उपराज्यपाल कार्यालय ने एक नोट में कहा, दिल्ली हाईकोर्ट के किसी प्रतिकूल आदेश के डर से ‘आप’ सरकार ने लंबे समय से लंबित कैग रिपोर्टें जल्दबाजी में एलजी को सौंप दी हैं, ताकि विधानसभा में रखकर रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जा सके। 14 लंबित सीएजी रिपोर्टों में से 11 उस समय की हैं, जब अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री थे। इन रिपोर्टों में डीटीसी, सार्वजनिक स्वास्थ्य और मोहल्ला क्लीनिक, राज्य उपक्रमों की रिपोर्ट शामिल हैं। एलजी कार्यालय ने नोट में कहा सरकार ने अपनी छवि बचाने के लिए सुनवाई से ठीक एक दिन पहले 11 दिसंबर को दोपहर 3:30 बजे जल्दबाजी में 12 रिपोर्ट भेजीं और बाद में सुनवाई समाप्त होने के बाद 12 दिसंबर को शाम 7.50 बजे दो शेष रिपोर्ट एलजी सचिवालय को भेजीं। रिपोर्ट में दावा किया गया कि ये रिपोर्ट वित्त मंत्री आतिशी के पास करीब 500 दिनों तक पड़ी रहीं। दिल्ली सरकार ने अभी तक सीएजी रिपोर्ट पेश करने के लिए विधानसभा सत्र की तारीख घोषित नहीं की है।