इंडिया गठबंधन के दलों को ही राहुल गांधी स्वीकार नहीं, संकट में कांग्रेस 

नई दिल्ली। आम चुनाव में मोदी सरकार को सत्ता से हटाने के लिए बने इंडिया गठबंधन में क्या सबकुछ ठीक नहीं चल रहा? यह सवाल इसलिए भी क्योंकि इंडिया गठबंधन में शामिल कई दल एक के बाद एक लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व पर सवाल खड़े कर रहे हैं। राहुल गांधी पर कोई सीधे सवाल खड़े कर रहा है, कोई बंगाल की सीएम ममता बनर्जी को बेहतर बताकर नेता विपक्ष पर सवाल उठा रहा। संसद के शीतकालीन सत्र के बीच ही राहुल गांधी के सामने बड़ी चुनौती खड़ी हो चुकी है। टीएमसी की ओर से कही गई बात और ममता की हां के बाद कई नेताओं को लगने लगा है कि कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की जिद ठीक नहीं है। इंडिया गठबंधन में शामिल दलों के नेताओं के बयान पर यदि गौर करें तब ऐसा लगता है कि उनमें भी कहीं न कहीं बेचैनी है।

कई बार उठ चुके हैं राहुल की काबिलियत पर सवाल 
लोकसभा चुनाव में सबसे अधिक चर्चा यूपी में कांग्रेस और सपा के साथ आने की हुई। राहुल और अखिलेश यादव कई मौकों पर साथ आए और नतीजों में इसका असर भी देखने को मिला। आम चुनाव के नतीजों के बाद सबसे अधिक चर्चा यूपी की हुई। कांग्रेस और सपा दोनों यूपी के मतदाताओं का आभार करते नहीं थक रहे थे। लेकिन अब ये बात पुरानी हो चुकी है। सपा और कांग्रेस के बीच दूरिया बढ़ती हुई दिख रही है। महाराष्ट्र में सपा ने महाविकास अघाड़ी से अलग होने का ऐलान कर दिया लेकिन इसके पहले संभल और लोकसभा मैं बैठने की व्यवस्था पर भी मनमुटाव साफ-साफ देखने को मिला। सपा के एक नेता आईपी सिंह ने राहुल गांधी की तस्वीर शेयर करते हुए लिखा कि इन्होंने जिद कर ली है कि ये नहीं सुधारने वाले नहीं है। सपा सांसद रामगोपाल यादव ने राहुल गांधी पर बयान दिया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी इंडिया गठबंधन के नेता नहीं हैं। उन्होंने कहा कि यह कोई भी कह सकता है, राजनीति में कोई साधु-संत बनकर आता नहीं है। सब पद पाना चाहते हैं। चाहे लोकसभा का चुनाव हो या विधानसभा का कांग्रेस कहीं अच्छा परफॉर्म कर नहीं सकी। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इंडिया गठबंधन के कामकाज पर असंतोष व्यक्त किया है साथ ही मौका मिलने पर इसकी कमान संभालने के संकेत भी दिए। ममता ने कहा कि वे बंगाल की मुख्यमंत्री के रूप में अपनी भूमिका जारी रखते हुए विपक्षी मोर्चे के नेतृत्व के साथ दोहरी जिम्मेदारी संभालने में सक्षम होंगी। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि मैंने इंडिया गठबंधन का गठन किया था, अब इस ठीक से चलाना मोर्चे का नेतृत्व करने वालों पर निर्भर है। अगर वे यह नहीं कर सकते, तब मैं क्या कर सकती हूं? मैं बस यही कहूंगी कि सभी को साथ लेकर चलने की जरूरत है। यह पूछने पर कि एक मजबूत भाजपा विरोधी ताकत के रूप में अपनी साख को देखते हुए वे गठबंधन का प्रभार क्यों नहीं ले रही हैं, इसपर बनर्जी ने कहा, यदि मौका दिया गया तब मैं इसका सुचारू संचालन सुनिश्चित करूंगी। ममता बनर्जी की यह टिप्पणी उनकी पार्टी के सांसद कल्याण बनर्जी द्वारा कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के अन्य सहयोगियों से अपने अहंकार को अलग रखने और ममता बनर्जी को विपक्षी गठबंधन के नेता के रूप में मान्यता देने का आह्वान किए जाने के कुछ दिन बाद आई।विपक्षी गठबंधन के भीतर ताजा घटनाक्रम में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के महासचिव डी राजा ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे गठबंधन के अध्यक्ष हैं और उन्हें मुद्दों पर जवाब देना चाहिए। हालांकि, उन्होंने स्वीकार किया कि कांग्रेस को अपने सहयोगियों के प्रति अधिक उदार होना चाहिए और कुछ गंभीर आत्मनिरीक्षण करना चाहिए। राजा ने कहा, कांग्रेस को गंभीरता से आत्मचिंतन करना होगा और इस बात पर विचार करना होगा कि विधानसभा चुनावों में सीटों का बंटवारा ठीक से क्यों नहीं हुआ, जहां पार्टी को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा। दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) ने अपने बूते चुनाव लड़ने की घोषणा कर कांग्रेस से दूरी भी बना ली है। उद्धव ठाकरे की पार्टी भी सामना के जरिए कांग्रेस पर निशाना साध रही है। पार्टी ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में इस बात पर जोर दिया कि आप प्रमुख केजरीवाल को इंडिया गठबंधन का हिस्सा बने रहने के लिए मनाने की जरूरत है। संपादकीय में कहा गया, कि ममता बनर्जी कांग्रेस से दूरी रखकर राजनीति करने की कोशिश कर रही हैं। अब केजरीवाल भी उसी राह पर जा रहे हैं। इस संबंध में कांग्रेस को आत्मनिरीक्षण करने और (विपक्ष की) एकजुटता के लिए कदम उठाने की जरूरत है।

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