बूंद-बूंद जल बचाने का अभियान प्रशंसनीय : मुख्यमंत्री डॉ. यादव

भोपाल : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि वर्षा जल को संग्रहित कर भूगर्भ में जल भंडारण क्षमता के विकास के लिए चलाई जा रही ‘कर्मभूमि से जन्मभूमि’ योजना एक अभिनव पहल है। इस योजना में गुजरात में रहकर व्यापार करने वाले अन्य प्रदेशों के व्यापारियों द्वारा स्वयं के संसाधनों से अपने राज्यों में बोर लगवाने का काम किया जा रहा है। मध्यप्रदेश के सतना जिले में इस योजनान्तर्गत कार्य आरम्भ हो गया है। प्रसन्नता की बात है कि योजना में पूरे प्रदेश में 15 हजार बोर लगाने का लक्ष्य है। शासकीय संसाधनों के बिना गुजरात व्यापार करने वाले व्यापारियों की भागीदारी से चल रहा बूंद-बूंद जल बचाने का यह अभियान प्रशंसनीय है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने गुरूवार को श्रम शक्ति भवन नई दिल्ली में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल और राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के साथ ‘कर्मभूमि से जन्मभूमि’ कार्यक्रम के प्रभावी क्रियान्वयन पर त्रिपक्षीय बैठक की।

योजना के क्रियान्वयन के लिये बैठक में जिला कलेक्टर को नोडल अधिकारी नियुक्त करने, गुणवत्तापूर्ण और समयबद्ध तरीके से योजना को पूरा करने और इसके क्रियान्वयन में आ रही बाधाओं को दूर करने के संबंध में विस्तृत चर्चा की गई।

केंद्रीय जल शक्ति मंत्री पाटिल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जलसंचय संकल्प को जन-आंदोलन बनाने के क्रम में ‘कर्मभूमि से जन्मभूमि’ कार्यक्रम की परिकल्पना की गई है। इसमें गुजरात में रह रहे मध्यप्रदेश, राजस्थान और बिहार के व्यवसायी अपनी जन्म भूमि में जल संचय के उद्देश्य से बोर की व्यवस्था कर रहे हैं। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि इसमें राजस्थान में एक लाख 60 हजार और मध्यप्रदेश में 15 हजार बोर बनवाए जाने है। बिहार राज्य के 10 जिलों में प्रत्येक गांव में 4 बोर बनवाए जाने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने राज्यों के सहयोग से इस योजना के सफल क्रियान्वयन की आशा व्यक्त की।

राजस्थान के मुख्यमंत्री शर्मा ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर सूरत के व्यापारियों द्वारा शुरू की गई यह योजना राजस्थान के सिरोही और जोधपुर जिलों में प्रारंभ हो चुकी हैं। उन्होंने आशा व्यक्त की कि राजस्थान राज्य में वाटर रिचार्ज में सहयोग के लिए यह योजना वरदान साबित होगी।

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