रेलवे पर चोरी का मुआवजा देने का दबाव, आयोग ने यात्री की सतर्कता पर उठाए सवाल

मुंबई। दक्षिण मुंबई जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने एक रेलवे यात्री के मुआवजे के दावे को खारिज कर दिया। रेलयात्री ने अपने सामान की चोरी से हुए नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजे की मांग की थी। आयोग ने पिछले सप्ताह अपने आदेश में पूछा था कि अगर यात्री खुद सतर्क नहीं है तो रेलवे कैसे जिम्मेदार हो सकता है।

रेल से पर्स और आभूषण चोरी
शिकायतकर्ता जो पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं ने दावा किया था कि उनकी पत्नी का पर्स, जिसमें सोने के आभूषण, हीरे की अंगूठी और नकदी थी, उस समय चोरी हो गया था जब वह और उसकी पत्नी 20 सितंबर, 2017 को अजमेर-दादर एक्सप्रेस में यात्रा कर रहे थे।

शिकायतकर्ता में मांगा था लाखों का मुआवजा
उन्होंने पश्चिम रेलवे से चोरी की गई संपत्ति के लिए 3.54 लाख रुपये, मानसिक पीड़ा के लिए 10 लाख रुपये और मुकदमे की लागत के रूप में 40 हजार रुपये का मुआवजा मांगा था। दावा किया था कि रेलवे की लापरवाही के कारण नुकसान हुआ।

आयोग ने लगाई फटकार
आयोग ने कहा कि रिकार्ड पर मौजूद साक्ष्यों से पता चलता है कि शिकायतकर्ता की पत्नी पर्स में कीमती सामान ले गई थी और उसे ट्रेन के डिब्बे में, भले ही थोड़ी देर के लिए लावारिस छोड़ दिया था। सतर्कता की कमी के कारण चोरी हुई होगी।

आयोग ने कहा, शिकायतकर्ता रेलवे की ओर से सेवा में कोई लापरवाही या कमी साबित नहीं कर पाया। शिकायतकर्ता खुद अपने पर्स, सामान को सुरक्षित रखने के लिए सतर्क नहीं था। रेलवे को कैसे जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
 

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